राजा भोज की प्रतिमा बनाने वाले प्रभात राय का निधन

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मूर्तिकार प्रभात राय का निधन हो गया है। भोपाल को राजा भोजपाल की नगरी के रूप में नयी पहचान ग्वालियर के मूर्तिकार राय की बनाई राजाभोज की प्रतिमा से ही मिली। बड़ा तालाब में फरवरी 2011 में स्थापित इस प्रतिमा की डिजाइन में राय को दो साल का समय लगा। आठ मॉडल बनाए गए। क्योंकि, राजा भोज का कोई ऐसा कोई चित्र नहीं था, जिसे देखकर प्रतिकृति बनाई जा सके। राजा भोज से जुड़ी कहानियां, इतिहास में अंकित उनके स्वरूप को पढ़कर-समझकर राय ने राजा भोज के वर्तमाल स्वरूप गढ़ा था। अंतत: प्रतिमा की डिजाइन तय हुई और 7500 किलोग्राम वजनी प्रतिमा का निर्माण हुआ।

राजधानी की 70 प्रतिशत से अधिक प्रतिमाओं को गढ़ा है प्रभात राय ने

प्रभात राय बड़े कलाकार थे। उनकी गढ़ी प्रतिमाओं ने प्रदेश को नयी पहचान दी। शहर में बीते पंद्रह साल में स्थापित प्रतिमाओं में 70 फीसदी से ज्यादा राय नहीं बनाई थी।

2011 में प्रतिमा को अंतिम रूप

राजाभोज की प्रतिमा जब 2011 में शहर में लाई गई तो लोगों में एक अलग ही उत्साह था। प्रभात राय भोपाल में आठ से अधिक प्रतिमाओं को गढ़ चुके हैं, लेकिन राजाभोज की अंतिम प्रतिमा को लेकर जिस तरह की उत्सुकता, भावुकता लोगों में दिखी, इसके पहले की किसी और प्रतिमा में नहीं दिखी। अंतत: वर्तमान प्रतिमा को अंतिम रूप दिया गया।

हजारों लोगों ने देखा मॉडल

राजाभोज की प्रतिमा को अंतिम रूप देने से पहले इसका मॉडल बनाया गया। 2010 में इस मॉडल को पर्यटन भवन में रखा गया। तत्कालीन पर्यटन मंत्री बाबूलाल गौर ने इसमें काफी रुचि ली। शुरुआत में प्रतिमा दो टन वजनी और 20 फीट ऊंची बनानी तय हुई, लेकिन बड़ा तालाब के बुर्ज पर स्थापित होने की स्थिति में ये काफी छोटी लगती इसलिए इसकी ऊंचाई 36 फीट की गई।

बड़े तालाब का राजा भोज ने करवाया था निर्माण

परमार वंशीय राजाभोज का कार्यकाल धार से लेकर भोपाल तक सन 1010 से लेकर 1055 के बीच रहा। राजा भोज ने 84 ग्रंथों का संकलन किया था। उसमें आयुर्वेद, ज्योतिष, चिकित्सा और विमान विज्ञान से लेकर अन्य कई विषयों पर उन्होंने ग्रंथ लिखे थे। राजा भोज ने धार और भोपाल समेत अन्य स्थानों पर कई तालाबों का निर्माण करवाया। राजाभोज द्वारा रचित समरांगण सूत्रधार में मूर्तिकला पर बहुत ही विशेष और उल्लेखनीय तथ्य प्रकाशित किए गए थे।

एक नजर में प्रतिमा

  • 36 फीट ऊंची प्रतिमा
  • 7500 किलोग्राम वजनी प्रतिमा
  • 30 लाख रुपए की लागत

प्रभात राय ने भोपाल की ये प्रतिमाएं भी बनाईं

  • भोज मुक्त विवि और परमार समाज की मंदिर की भोज प्रतिमा
  • लालघाटी पर स्थापित 21 फीट ऊंची भगवान परशुराम की प्रतिमा
  • आर्च ब्रिज पर स्थापित रानी कमलापति की प्रतिमा
  • मनुआभान की टेकरी पर स्थापित रानी पद्मावती की प्रतिमा

लिवर की समस्या से जूझ रहे 60 वर्षीय प्रभात राय

बता दें कि प्रभात राय का दिल्ली में इलाज चल रहा था, लेकिन डॉक्टर्स ने जवाब दे दिया तो परिजन उनकी अंतिम इच्छा पर उन्हें ग्वालियर में मोतीझील स्थित उनके स्टूडियो ले आए। जिस रूम में वे मूर्तियों के डिजाइन तैयार करते थे उस रूम में वेंटीलेंटर की व्यवस्था की गई। शनिवार-रविवार की रात दो बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

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