माउंट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है, जहां पर चढ़ाई करना बहुत ही कठिन माना जाता है। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना कई पर्वतारोहियों का सपना होता है
माउंट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है, जहां पर चढ़ाई करना बहुत ही कठिन माना जाता है। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना कई पर्वतारोहियों का सपना होता है। ऐसा ही एक सपना ग्वालियर के युवा उद्यमी अतुल लड्ढा का था और उन्होंने अपना ये सपना माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप (5,364 मीटर) को फतह कर पूरा किया है।बेस कैंप पहुंचकर युवा उद्यमी ने उद्यमियों के सामने नई मिसाल कायम की है। ग्वालियर के थाटीपुर, जीवाजी नगर निवासी अतुल लड्ढा ने अपना सफर 11 मई को दिल्ली से काठमांडू के जरिए शुरू किया था। 12 मई को वे काठमांडू से लुक्ला पहुंचे थे। 11 दिन के बाद 19 मई को अतुल बेस कैंप पहुंचे, जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 5,364 मीटर है। अतुल ने पत्रिका प्लस से फोन पर हुई बातचीत के दौरान बताया कि एवरेस्ट बेस कैंप (ईबीसी) पर पहुंचकर अपनी कंपनी के साथ-साथ तिरंगा झंडा लहराया। बेस कैंप पर जीरो डिग्री तापमान था, ईबीसी पर जाना मेरी विश लिस्ट में शामिल था।
रोजाना 12 से 14 किलोमीटर चलते थे
युवा उद्यमी अतुल लड्ढा ने बताया कि माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक जाने के लिए पिछले आठ महीने से तैयारी कर रहा था। इसके लिए रोजाना एक्सरासाइज भी करता था। रोजाना 6 से 7 घंटे 12 से 14 किलोमीटर की चढ़ाई करता था। जितना ऊपर जाते हैं, ऑक्सीजन लेबल कम होता जाता है। ऐसे में हांफनी भी बहुत बढ़ जाती है। नौ दिनों में करीब 90 किलोमीटर की चढ़ाई की। अतुल बताते हैं कि अगली बार मेरा 6,000 मीटर की ऊंचाई पर जाने का मन है।