नकसीर फूटना (नासागत रक्तस्राव)
गर्मी के मौसम में अक्सर अधिक समय तक धूप में रहने, उष्ण-तीक्ष्ण-मसालेदार खाने, चोट लगने, रक्तचाप आदि कई कारणों से नाक से रक्त प्रवृति होने लगती है, इसे नकसीर या epistaxis कहते हैं. यह एक सर्वसामान्य रोग है, इसलिए ज्यादा परिचय विस्तार देने की आवश्यकता नहीं..
बचाव
चाय-कॉफी, गर्म चीजों का सेवन न करें.
रोजमर्रा में बर्फ न खायें, नकसीर आने पर बर्फ चूस सकते हैं.
तेज धूप, नाक पर रगड़, चोट, नाक में तिनका-ऊँगली डालना न करें.
कब्ज, अम्लपित्त, गैस, आम न रहने दें. पेट में गर्मी करने वाले आहार न लें.
सामान्य उपचार
1 सिर पर ठण्डे पानी की धार डालें.
2 माथे पर मुल्तानी मिट्टी का लेप करें, सूखने लगे तो पुनः गीला कर दें.
3 दूब का रस नाक में डालना हितकर है.
4 अनार की पत्ती का रस नाक में डालना भी लाभप्रद है.
5 धनिया पत्ती का रस नाक में डाल सकते हैं.
6 प्याज का रस नाक में डाल कर खींचना नकसीर रोकता है.
7 आँवला मुरब्बा सेवन करने से पेट में ठंडक रहती है.
8 गुलकंद में प्रवाल पिष्टी मिलाकर प्रयोग करें.
9 अमृतधारा दो चार बूँद गर्म पानी में डालकर सूँघने से लाभ होता है.
10 ताजा निकाले मक्खन में थोड़ा कपूर मिलाकर माथे पर लेप करने से ठंडक मिलती है.
11 अँगूठे व तर्जनी अँगुली से नाक के मूल भाग को थोड़ा दबायें ताकि रक्त बहना रूक जाये.
विशेष.
मुल्तानी मिट्टी बीस ग्राम पीसकर रात को किसी बर्तन में 200 मिली पानी में भिगो दें. सुबह एक बार हिला कर छोड़ दें. कुछ देर बाद पानी निथार कर छान भी लें. यह पानी थोड़ा थोड़ा कर पिलाते रहें…
???? अंशुघात-तापघातg-लू
(Heat stroke/Sun stroke)..
गर्मियां प्रारम्भ हो गई हैं. धीरे धीरे सूरज अपनी तीव्रता बढाता जाएगा. गर्म हवाओं के तेज थपेड़े झुलसाने लगेगें. तपती जमीन, आग उगलता आसमान और फुफकारती लू जीना मुश्किल कर देगें.
ऐसे में यदि अपना बचाव न रखा जाये तो लू/ तापघात की चपेट में आसानी से फँस सकते हैं.
क्या है लू लगना
वातावरण की या आंतरिक उष्णता की अधिकता के कारण शरीर में अत्यधिक पसीना आ कर जलाभाव होने लगता है, बॉडी टेम्परेचर 104-105 डिग्री तक बढ जाता है, रक्त कणों से पॉटेशियम टूटने लगता है (हाइपर पॉटेशिमिया), उच्च ताप व पानी की कमी से भ्रम-घबराहट होने लगती है. आत्ययिक परिस्थिति में मृत्यु तक हो सकती है. यही लू लगना कहलाता है..
कारण…
तेज धूप में अधिक समय रहना.
धूप में नंगे सिर रहना.
खाली पेट धूप में घूमना या काम करना.
प्यास लगने पर पानी न पीना
परिश्रम करने के बाद तुरन्त पानी पीना.
गर्म मौसम में एल्कोहॉल आदि नशा या ब्लैक कॉफी आदि सेवन कर धूप में निकलना.
कैमिकल युक्त तेज दवाईयों का प्रयोग. आदि..
लक्षण…
मुँह लाल होना.
सिरदर्द
घबराहट
गले में सूखापन
वमन
त्वचा में खिंचाव व शुष्कता
अतिस्वेद या अस्वेद
शिथिलता
श्वासकृच्छ्रता
शारीरिक तापवृद्धि
पानी की कमी (डि-हाइड्रेशन)
भ्रम
आदि आदि.
उपचार..
कपड़े ढीले कर दें.
छायादार स्थान पर ले जायें, हवा करें.
गीली पट्टी करें, हो सके तो गीली चादर लपेट दें.
बर्फ मलें, सिर का ताप सामान्य करने का प्रयास करें.
श्वास प्रश्वास सामान्य रखने की कोशिश करें.
नारियल पानी, ग्लूकोज़, इलैक्ट्रोलाइट आदि जो तत्काल उपलब्ध हो सके पिलायें.
माथे पर प्याज पीसकर पेस्ट बनाकर लेप लगायें.
नींबू, मौसम्मी आदि का रस पिलायें.
अर्क सौंफ, अर्क चंदन पिलायें.
धनिया+भुना जीरा+पुदीना+काली मिर्च+सैंधा नमक पीसकर पानी में घोलकर पिलायें.
अन्य आवश्यक तात्कालिक आकस्मिक उपाय करें.
सावधानियां..
खाली पेट बाहर न जायें.
सिर ढक कर रखें.
कच्चे प्याज का सेवन लाभप्रद है.
तरबूज का सेवन करें.
आम, खरबूजा आदि मौसमी फलों का पना बनाकर सेवन करें.
कैरी का पानी, इमली का पानी, सौंफ, पोदीना आदि पीना पानी की कमी दूर करता है, इलैक्ट्रोलाइट बैलेन्स रखता है व तापमान नियंत्रण रखता है.
प्याज लू से बचाव हेतु अत्युत्तम है.
हल्का सुपाच्य भोजन करें.
हल्के रंग के सूती कपड़े पहनें.
कहीं बाहर जाने से पहले कैरी का पानी पी कर निकलें, रास्ते के लिए पानी-ग्लूकोज़ साथ रखें.
चिकित्सा…
सितोपलादि चूर्ण 2-2 ग्राम तीन चार बार शहद से दें.
कैरी/इमली का पानी पिलायें.
चिकित्सक की सलाह लें…
आपात परिस्थिति के अनुसार त्वरित उपचार करना चाहिए अन्यथा प्राणघातक हो सकता है.